Trailer Review The Taj Story : रिलीज से पहले, बैन हो गई

Trailer Review The Taj Story : रिलीज से पहले, बैन हो गई

द ताज स्टोरी 

इस फिल्म का जिस समय पर एक मोशन पोस्टर जारी हुआ था जिसमें कि परेश रावल ताजमहल का ऊपर का जो टॉप है जो गुंबद है उसको हटा रहे हैं और अंदर से शिवजी की मूर्ति निकल रही है। केवल इसी के ऊपर इतनी ज्यादा कंट्रोवर्सी हो गई थी कि मुसलमानों ने लिटरली उनको गालियां तक दे डाली थी। ऐसी-ऐसी भद्दी भद्दी गालियां कि मैं आपको यहां पर दिखा भी नहीं सकता। 

|Trailer Review The Taj Story

ताजमहल पर एक फिल्म आ रही है ताज स्टोरी। लेकिन फिल्म आने से पहले ही विवादों में घेरे गए। इस फिल्म के पोस्टर के सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया। बॉलीवुड की एक फिल्म की जो लगभग एक महीने बाद बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होने वाली है। लेकिन इस फिल्म को लेकर विवादों वाला सीक्वल पहले ही रिलीज हो चुका है। ट्रोलर्स ने उनको द यूरिन स्टोरी करके एक पोस्टर बनाकर ट्रोल करने का प्रयास किया था। लेकिन अब इसका एक ट्रेलर भी आ चुका है और ट्रेलर वास्तव में यदि देखा जाए, यदि उसको सुना जाए, यदि उस ट्रेलर के अंदर दिखाए गए जितने भी फैक्ट्स हैं, उनके ऊपर बात की जाए, तो वास्तव में यह कोई कॉनस्परेसी थ्योरी नहीं बल्कि ये भारत का इतिहास भी हो सकता है। और क्यों यह लोग सारी ही चीजों के ऊपर प्रश्न करने से मना करते हैं। व्हाट रवि श्रीवास्तव इस सेइंग इज ट्रू? व्हाई कॉल फॉर अरेस्ट परेश रावल फॉर व्हाट? व्हाई शुड परेश रावल बी अरेस्टेड? देखिए कुरान जो है वह अल्लाह की भेजी हुई किताब हो सकती है। उसके ऊपर मुसलमान कहें कि हम लोग प्रश्न नहीं कर सकते यानी कि मुसलमान लोग प्रश्न नहीं कर सकते।

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 यह बात हम मान सकते हैं। लेकिन जिन लोगों के ऊपर वो किताब थोपी जाएगी उनका प्रश्न करना तो बनता ही है। लेकिन चलो हमने मान लिया कि ठीक है। अल्लाह के निजाम में अकल का दखल नाकाबिले बर्दाश्त है। लेकिन ऐतिहासिक चीजों में ऐतिहासिक दृष्टि से किसी भी प्रकार की खोजबीन जिस प्रकार से इन लोगों को नफरत उगलने के लिए मजबूर कर रही है ना वही चीज अपने आप में सिद्ध कर देती है कि कहीं ना कहीं दाल में काला है। और परेश रावल की जो फिल्म है यह अपने आप ही अपने मुकाम को हासिल करने में कामयाब भी होती दिख रही है। दिस फिल्म इज़ गोइंग टू टेल अस द रियल स्टोरी द स्टोरी दैट पीपल डोंट नो फैसिनेटिंग अ स्टोरी दैट्स बीन अनटोल्ड आई थॉट द ताज्मा अ लुक बट इट्स नॉट आई हैव सीन परेश रावल फिल्म्स इन द पास्ट एंड दिस काइंड ऑफ़ रूल सूट्स हिम। अब बात करते हैं ट्रेलर की। ट्रेलर के अंदर उन 22 कमरों के बारे में विशेषता बात की गई है जिनको बाद में बंद करवा दिया गया था और इसी ट्रेलर के अंदर ऐसे लोगों को भी दिखाया गया जिन्होंने उन 22 कमरों में झांका है देखा है आप ताजमहल के नीचे जो 22 कमरे हैं उसमें कभी गए ताज के नीचे जब हम कमरों में पहुंचे तो वहां जो हम लोगों ने देखा उसे देख कर के तो हम हैरान रह गए। इस ट्रेलर को देखने के बाद में मुझे थोड़ी-थोड़ी वाइब ना ऐसी आती है जैसे हिस्ट्री ऑफ हिस्ट्री एक मूवी आई थी जो कि नीरज अत्री जी की किताब द ब्रेन वाश रिपब्लिक के ऊपर आधारित थी। कुछ उसी प्रकार की फिल्म बनाने का प्रयास यह किया गया है। इसी फिल्म के अंदर इतिहास को तोड़ मरोड़ करके जो हिस्ट्री के बारे में लिखा गया है, उस पर भी एक टीचर कुछ इस प्रकार से बोलती हुई नजर आती है। वही पढ़ाएंगे जो हमारे सिलेबस में है। और इसी नकली इतिहास को लिखने वाली रोमिला थापर से मिलती जुलती भी एक अदाकारा इसमें रखी गई है जो कटघरे में खड़ी हुई है और वहां पर परेश रावल यह सवाल करता है। महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज ये सबके बारे में लिखने के लिए आपके पास शब्द नहीं है? आपको नहीं लगता? आपको शर्म से डूब जाना चाहिए। इस ट्रेलर में सबसे मजेदार चीज वो जो सब लोगों को लगी है और जो कमेंट्स पढ़ करके भी आपको पता लग जाएगा वो थी यह। शाहजहां मंदिर क्यों बनवाएंगे? हां। उनका काम तो तुड़वाने का था। और यही रियलिटी भी है। मुगलों ने मंदिरों को तोड़ के उनके ऊपर मस्जिदों का निर्माण किया है। यह केवल पीएनओ की किताब के ऊपर आधारित नहीं है बल्कि उन सभी के सभी फैक्ट्स को बहुत अच्छे तरीके से प्रदर्शित भी करती है। जिस प्रकार से ट्रेलर काटा गया है। इसमें बहुत सारी डिटेल्स नहीं है। लेकिन इस तरीके के क्लूस दिए गए हैं। 

यह फिल्म आपको रोमांचित करने वाली है। जैसे इस ट्रेलर की स्टार्टिंग में कहा गया कि मकबरा बनाया लेकिन ऊपर कलश क्यों बनाया गया? दुनिया में कोई ऐसा मकबरा कभी देखा है कि जिसके ऊपर गुंबद हो, गुंबद पर कलश हो, इसका ताजमहल का डीएनए टेस्ट करवाएं। देखो दोस्तों, अंगभंग प्रजाति ने हमेशा ही भारतवर्ष के अंदर एक ही काम किया है और वो है तोड़फोड़ करके अपनी नेमप्लेट लगाने का। जैसे कि हिंदू अच्छा है तो उसका खतना कर दिया गया। नीचे की टोपी काटकर ऊपर लगा दी और नेमप्लेट बदल करके अमर का मोहम्मद आमिर कर दिया। ठीक उसी प्रकार से मंदिरों को भी ऊपर से तोड़ करके वहां पर भी टोपी पहना दी और अगर उसका नाम पहले ज्ञानवापी मंदिर था तो नेमप्लेट ज्ञानवापी मस्जिद की लगा दी। ये जो चीजें हैं इतिहास में सबसे ज्यादा घृणित है और एक सभ्य समाज को यह सब चीजें कभी भी एक्सेप्ट नहीं करनी चाहिए। इतिहास में सब लोगों को झांकना चाहिए। ताजमहल हो या लाल किला, कुतुब मीनार हो या फिर बुलंद दरवाजा हर एक की जांच एक सेकुलर विधान के अंतर्गत होनी चाहिए थी। लेकिन हमारा जो कोठा है ना ये हर चीज के अंदर अपनी ऐसी नुक्ता चीनी करता है कि जैसे ये जजिया कानून बनाने वालों के हरम से पैदा हुए लोगों के द्वारा ही संचालित हो। 

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